बुलेट से बैलेट का बाज़ी
चुनावी जंग रोज नए नए पैतरे बदलती रहती है और सत्ता में बैठी सरकार इसका अपने अपने हिसाब से इस्तेमाल करने में कभी नहीं चूकती। भाजपाई चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह का लगातार छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र और फिर झारखण्ड खोना मानो यह मान लिया गया कि अगर सरकार को वापसी करनी है तो वैसे ही होगी जैसे पहले करती थी ना कोई विकास ना कोई और मुद्दा। बस एक ही चाल जो कि नायाब है वो है बुलेट के रास्ते। सवाल दिल्ली पुलिस पर उठाने का कोई फायदा नहीं क्योकि अब उसका कोई भी जमीर काम नहीं करता दिखता यह लाइन हमारी दिल्ली के पुलिस के जवानो को लेकर नहीं है बल्कि उस पुलिसिया व्यवस्था को लेकर है जो अपनी कर्तव्य निष्ठा की शपथ भूल गयी है। बहरहाल यह सब एक प्रायोजित ड्रामा है चुनावी रणनीति वो भी देश के सम्मान और दिल्ली की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए जब एक सिरफिरा जय श्री राम का नारा लगाते हुए आज गोडसे का रूप लेलेता है और गोलिया चलाता है और पुलिस तमाशबीन बन देखती रहती है जो उसका अक्सर का काम है पर यह सब एक प्लांनिंग के तहत है अनुराग ठाकुर का गोली मारो सालो को गद्दारो को का जो चर्चित नारा है वो सरकार का सीधा सन्देश था समाज को समझने का और यह जो बुलेट के सहारे बैलेट वाला मैनेजमेंट है यह एक अच्छी शुरुवात नहीं है। पहले मंडल कमंडल पर देश सुलगता रहा और अर्थव्यवस्था से लेकर सारा सत्यानाश हुआ और आज हम अपनी एक के बाद एक सरकारी संस्थाए बेचने में लगे है शाहीन बाग़ और नागरिकता के आड़ में। और पूरा देश अभी सिर्फ यह बहस कर रहा है की एक मीडिया हारने की एंट्री नहीं हुई और दूसरे ने कर ली। चुनाव के लिए हिन्दू मुस्लिम का यह ड्रामा पढ़ा लिखा असमझ तो रहा है पर जब उनके बीच में चार एजेंट नागरिकता को हिंदुत्व में बदलने की अपनी तैयार रणनीति से हमला करते है तो वो भी सिर्फ इसको गांधी जी दो चश्मों के अंदर से सिर्फ हिन्दू मुस्लिम में ही देखता है। पर आज जो कुछ भी हुआ यह अमित शाह और मोदी जी की विफलता है। केजरीवाल को हराना है तो मुद्दों से हराईये काम करके हराईये ऐसे बुलेट के सहारे तो हराना नहीं इसको किडनैप करना बोलेगे यह मैं नहीं आज हर एक आम नागरिक बोल रहा है और आप सब पाठक यह जान ले कि यह आतंक अब तेज होगा और इसको यह नेता खूब भड़काएंगे और आने वाले समय में हो सकता है चुनाव से पहले शाहीन बाग़ के लोगो को लहूलुहान करते हुए सबको खदेड़ दिया जाय और जिस पर ताल ठोककर वोट की राजनीती कर ली जाएगी तब यह चुनाव आयोग शायद बोले या करे। बहरहाल चुनाव सही और साफ़ सुथरे होने के लिए यह बैलेट का रास्ता तो छोड़ना पडेगा।
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