पार्टी से बड़ा बनता कार्यकर्ता
बाप बाप होता है बेटा बेटा को आजकल गलत साबित करने मे कोई लगा है तो वो है कांग्रेस के नेता वो भी वो वाले जो चुनाव लड़ रहे है जिनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी का नाम और उसका काम वो नही गिना सकते क्योकी उन्होने चुनाव अपने दम पर जीता है और लोग उनको वोट देते है ना की कांग्रेस को। अजीब सा लगता है ऐसी बातो को सोचकर और तब जायज लगता है कांग्रेस का मौजूदा हाल। प्रियंका और राहुल की सारी कोशिशे शायद तभी बेकार होती दिख रही है क्योकी उनके सामने ऐसे उम्मीदवार और कार्यकर्ता है जो अपने आप को पार्टी से बड़ा मानते है । पंजाब मे , छत्तीसगढ़ मे मध्य प्रदेश मे या राजस्थान मे जहा कही भी पार्टी जीती है वो सिर्फ एक कारण से और वो कि वहा का कार्यकर्ता अपने आप को पार्टी का सच्चा सिपाही मानकर लड़ रहा था। और उम्मीदवार भी कांग्रेस के पीछे खडा था ना कि आगे। बहरहाल मुद्दा दिल्ली का है और यहा कांग्रेस के उम्मीदवार अपने आपको बड़ा मान रहे है और बस चुनाव जीत चुके है अपने ऊचे कद के कारण जो आने वले रिजल्ट के दिन अपना मुंह छुपाते शर्तिया नज़र आएगे। क्योकी पैसे के दम पर कार्यकर्ता नही बनाये जा सकते बस किराये के दिहाड़ी मजदूर मिलते है जो पैसा और पूरी भाजी खाते ही पराये हो जाते है और इस बार कांग्रेस को यही झटका लगने वाला है। बाकी भाजपा के कार्यकर्ता गर्व करते दिखते है अपनी पार्टी और अपने मोदी पर। और शायद यही वजह थी भाजपा का इतना विशालकाय रूप लेने के पीछे पर अब जब कुछ लोग अपने कद को पार्टी से ऊपर देखने लगे है तो उसके गिरते हुए रूप को समझना आसान ही है। पर इन सबमे फायदा आम आदमी पार्टी को ही मिलता दिख रहा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें