वैलेंटाईन पर भारी पुलवामा
आज सोशल मीडिया पर मानो वैलेंटाइन पर पुलवामा भारी पड़ गया है ऐसा वॉट्सएप्प और फेसबुक देखकर कहा जा सकता है पर क्या वास्तव मे देश इस शहादत की मार्केटिंग ने ऐसा फील कर रहा है या फिर वास्तविकता मे। पर अगर हम कारगिल देखे तो आज उसमे शहीद जवानो के घरवाले तरस रहे है कही पेंशन की टेंशन है तो कही जमीन ना मिलने की पर उनकी शाहदत शायद भुलाने के लिये होगी या हाल फिलहाल मे उनका बिकना तय नही हो पाया होगा। हमारे सैनिक हमारे लिये जान दे रहे है और आज उनको कही सुविधा की शिकायत है तो कही उनके भत्ते की। पर अगर सरहद पर कोई जवान शहीद हो तो उसकी शहादत पर हमे गर्व होता है और हम सब देश के साथ होते है। पर आज कल आतंकियो के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गये जो हमारे घर मे घुसकर वो हत्याये कर रहे है। पूरा देश जब भी एक जवान अपनी जान देता है तो उसका दर्द मह्सूस करता है पर क्या हम सब आज एक प्रण ले सकते है कि अब तक जितने भी जवान शहीद हो चुके है सबकी शहादत के बाद की उनकी जिन्दगी मे जो दिक्कते है उसको दूर कर सके अगर हां तो यह वैलेंटाइन डे पर सच मे मेरा भारत शहादत को भारी बना देगा और हम सब अपने जवानो को सच्ची श्रद्धांजली दे पायेगे।
और रही बात इश्क के नाम पर पल बढ रहे जिस्म के इस खेल के परवान होने की तो भारत की युवा पीढी इस खेल मे पूरी तरह से फस चुकी है और इसको निकलने मे अब शायद सदिया लग जाय और जितना इस पर जोर डाला जायेगा इसका बाज़ार उतना ही बढ़ेगा और जिस तरह से आज ऑनलाइन होटल बूकिंग के नाम पर सेक्स व्यापार मे इजाफा हुआ है यह सरकार को भी और समाज को भी शायद ध्यान मे लेना चाहिये।
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