लाठी-डंडों के सहारे वृद्ध महिला पहुंची इंडियन इलाहाबाद बैंक , नहीं मिले पैसे ..
सूर्यमणि कनौजिया
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
कचनरवा (कोन),सोनभद्र। यह मामला थाना कोन क्षेत्र के कचनारवा इलाहाबाद इंडियन बैंक शाखा कचनरवा का है जहां एक वृद्ध महिला जिनका नाम रमपतिया देवी पत्नी स्वर्गीय जगधारी है। जो कि ग्राम पीपरखांड़ की निवासी है जो लाठी-डंडों के सहारे लंगड़ती हुई किसी प्रकार से बैंक पहुंचती है अपने बचत खाते से पैसे को निकालने लेकिन वहां जाने के बाद पता चलता है कि उनका बैंक अकाउंट बंद हो गया है जबकि उन्होंने कुछ दिन पहले ही उसी बैंक से पैसे निकाली थी। ऐसी घटना उन्हीं के साथ नहीं बल्कि ग्रामीण के कई लोगों के साथ का हैं।
आपको बताते चलें कि इससे पहले भी लोगो ने बैंकों के प्रति सरकार से गुहार लगाई थी। लेकिन अभी तक इनके प्रति कोई सुनवाई नहीं हो पाई है इस भीषण परिस्थिति में गरीबों की कोई नहीं सुन रहा।एक तो ऊपर से महामारी का प्रकोप और दूसरी तरफ अपने परिवार के भूख की मार में कहीं ऐसा ना हो कि गरीब दम तोड़ दे। क्योंकि इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय होने के कारण उपभोक्ताओं को दोबारा से आधार कार्ड व पैन कार्ड की फोटो कॉपी लगाकर खाता अपडेट करवाना पड़ रहा है। जिसके चलते बैंक के बाहर सारा दिन उपभोक्ताओं की लंबी कतारें लग रही हैं। इस कतार में लगे उपभोक्ता अकसर शारीरिक दूरी का पालन नहीं करते हैं। बैंक का विलय हो जाने के कारण इन सभी को अपने खाते से आधार कार्ड लिक करवाना पड़ रहा है। इसके अलावा केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की कई योजनाओं के पैसे भी सीधे उपभोक्ताओं के खाते में जमा हो रहे हैं। इस रकम को निकलने के लिए भी उपभोक्ताओं की बैंक के बाहर सुबह से ही लंबी कतारें लग जाती हैं।बैंक प्रबंधक द्वारा उपभोक्ताओं को कोरोना संक्रमण से बचाए रखने के लिए बैंक परिसर के अंदर भीड़ नहीं लगने दी जा रही हैं।इलाहाबाद बैंक में जनता की समस्याओं का निवारण हो ही नहीं पा रहा है l पैसों की मारामारी के बीच लोग अपनी उम्मीद छोड़ते चले जा रहे हैं l सोशल डिस्टेंस के नाम पर एक एक व्यक्ति दो - तीन महीने के बाद आने के लिए कहा जा रहा है l पैसा निकालने जाने वालों को KYC भरने के लिए 2 से 3 महीने बाद का टाइम दिया जा रहा है l समस्या यह है कि इनकी अभी तक कोई गुहार सुनने को तैयार नहीं है यह गरीब लोग गुहार लगाएं तो लगाए किससे। अब दिलचस्प वाली बात तो यह है कि क्या इन गरीबों की समस्या की गुत्थी को क्या सुलझा पाएगी सरकार।
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