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वित्तविहीन शिक्षकों की उपेक्षा की शिक्षा नीति ने यूपी की बिगाड़ी हालत

वित्तविहीन शिक्षकों की उपेक्षा की शिक्षा नीति ने यूपी की बिगाड़ी हालत


 




  • जिसका था सहारा, वहीं हुआ बेसहारा  

  • लालफीताशाही डुबाएगी योगी सरकार 

  • शिक्षक मजबूर हुए, करेंगे आत्महत्या 


राकेश कुमार सिंह


लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया 


ओबरा,सोनभद्र।माध्यमिक शिक्षा में 85 फीसद के भागीदार वित्तविहीन शिक्षकों की रोटी छिनने में यूपी हुकूमत ने महारथ हासिल कर ली है। 2022 के यूपी के चुनाव में मजबूर वित्तविहीन शिक्षक वर्तमान की हुकूमत को उखाड़ फेकेंगे। उक्त बातें माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद चौबे ने कही है। 


पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि तीन लाख से अधिक वित्तविहीन शिक्षकों को जान बूझकर मरने के लिए छोड़ दिया है। कोरोना वैश्विक महामारी में माध्यमिक शिक्षा को ऑन लाइन पढ़ाई में 85 फीसद की भागीदारी करने वाला शिक्षक पेट की भूख मिटाने में यूपी हुकूमत के तुगलकी फरमान से असमर्थ हो गया है। बच्चों से मिलने वाले शुल्क से वित्तविहीन शिक्षकों को सूक्ष्म धनराशि मिल जाती थी। हुकूमत की ओर से फीस नहीं लेने और लेने जैसे अलग-अलग भ्रम की स्थिति बना दी गई, जिससे फीस नहीं आई। बच्चों की फीस पर चलने वाली यूपी हुकूमत की 85 फीसद माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था भुखमरी की शिकार हो गई है। अखिलेश की सपा सरकार में एक हजार प्रतिमाह टोकन मनी प्रारम्भ भी की गई थी, उसे भी योगी हुकूमत ने बन्दकर दिया है। और कहते थे-हमारी सरकार वित्तविहीन शिक्षकों के लिए सम्मानजनक फैसला लेगी। अब वित्तविहीन शिक्षकों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रतीत होता है कि यूपी हुकूमत की राजशाही तौर-तरीकों से नाराज नौकरशाह अब शिक्षकों से ऐसे कार्य कराने पर उतारू हो गए हैं, जिससे योगी हुकूमत के खिलाफ जनमानस तैयार हो जाए और 2022 के चुनाव में उखाड़ फेंके। 


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क्या करे ? क्या न करे?


नौकरशाही के फरमानों से आजिज आकर कागजों पर अंधा-धुंध प्रगति दिखाई जा रही है, जबकि व्यावहारिक कठिनाइयों की ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऑन लाइन पढ़ाई की सोच उत्तम है पर जमीनी हकीकत के विपरीत अदब में लेकर आंकड़े मंगाए जा रहे हैं। सिविल सेवा से जुड़े अधिकारियों को बखूबी पता है कि यूपी के सबसे विकसित नोयडा आदि में भी आन लाइन के आंकड़े व्यववहारिक नहीं हो सकते हैं। सोनभद्र जैसे जिलों की स्थिति तो बहुत दूर की है। 


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कौन-कौन ऐप करे लोड


विद्यार्थी आखिरकार कौन-कौन ऐप लोड करे। अभिभावक के मोबाइल पर सबसे पहले आरोग्य सेतु ऐप लोड करने के निर्देश दिए गए, जिसे बच्चों ने डाउन लोड किया। फिर पढ़ाई के लिए दीक्षा ऐप डाउन लोड किया। कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से बचने के लिए आरोग्य सेतु की तरह ही आयुष कवच ऐप डाउन लोड कराने का दबाव में शिक्षकों से अभिभावकों की कहासुनी हो रही है। अत्याधुनिक मोबाइलों में बहुत सारे ऐप डाउन लोड होने पर दिक्कतें आती हैं। ऐसे में मजबूर होकर नौकरी बचाने के चक्कर में शिक्षक अभिभावकों से विनती कर रहे हैं पर अभिभावकों के वाजिब सवालों का उत्तर देने में यूपी सरकार का नौकर बना राष्ट्र निर्माता शिक्षक निरुत्तर हो जा रहा है। 


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आन लाइन पढ़ाई में शिक्षकों द्वारा भेजी जा रही सामग्री वीडियो व अन्य सामग्री के डाउन लोड में मोबाइल का कचूमर निकल जा रहा है। विद्यार्थी भी मोबाइल में नेट पैक नहीं होने पर दयनीय स्थिति में आ गए हैं। यह बात तो उनकी हो रही हो रही है, जिनके पास टच स्क्रीन मोबाइल है। 


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जानिए सच्चाई..


आइए..सच्चाई बताएं। सोनभद्र के बहुत बड़े हिस्से में मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है। यह बात सिविल सेवा के अधिकारी भी खूब जानते हैं पर शासन के अघोषित दबाव में कागजी आंकड़ों में पढ़ाई बड़ी जोरों पर है। 


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भ्रष्टतम में मारेगा बाजी शिक्षा विभाग


मुझे लगता है कि सबसे भ्रष्टतम विभाग शिक्षा विभाग है। वेतन या बिना वेतन के भी शिक्षक महज सम्मान के लिए अध्ययन- अध्यापन में पूरी उम्र गुजार दे रहा है। उसे कहीं से और कोई अर्थ मिलना भी नहीं है। इसके अलावा अन्य की ईमानदारी पर है। भ्रष्ट अधिकारी व कर्मियों से ईमानदार अधिकारी व कर्मी भी त्रस्त हो गए हैं। एक और बात। जनप्रतिनिधि भी भ्रष्ट लोगों पर नकेल कसने में असहज हो जा रहे हैं।


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