बिहार में कहीं आक्रोश में ना बदल जाय आश्वासन
जगदीप सिंह सिंधु
प्रगति के भ्रम और विकास के सच में झूलता बिहार 2020 के अंतिम दौर में एक बार फिर प्रदेश की 17 वीं विधान सभा के चुनाव के मुहाने आ पहुँचा है ! ज्ञान और नीतियों की भूमि किस अंतर्दवंद में पिछले 68 सालों से उलझी है ये आज भी एक अन सुलझा सवाल ही है ! आज़ादी के बाद से भारत में जिस प्रकार दूसरे प्रदेशों ने आधुनिक ुद्धोयोगीकरण को अपना कर भौतिक तरक्की की बिहार उसमे लगभग हर क्षेत्र में पीछे रह गया !
भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार वर्तमान में 13 वाँ राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है ! बिहार की अनुमानित जनसंख्या लगभग 10 करोड़ 38 लाख से कुछ ऊपर है ! संशोधित सूचि के अनुसार बिहार में 7,18, 22 , 450 मतदाता हैं ! बिहार में 38 जिले, 534 खंड , 8406 पंचायतें 45103 गांव 199 कसबे व् शहर हैं.! विधान सभा की 243 सीटें हैं ! 203 सीटें सामान्य वर्ग की अनारक्षित , 38 अ. ज , 2 अ ज जा के लिए आरक्षित सीटें हैं ! बिहार में सबसे पहली विधान सभा 1937 में बनी थी जिसमे 152 विधायक थे ! लेकिन 1947 में भारत आज़ाद होने के बाद भारतीय संविधान के अंतर्गत 1952 में चुनाव द्वारा विधान सभा अस्तित्व में आई !
इतिहास में दर्ज़ श्रेष्ठता की कई अद्भुत मिसालों के बावज़ूद यह प्रदेश वर्तमान में पिछड़ेपन को कोसता भी है भविष्य के लिए अनिश्चित भी है ! भौगोलिक परिस्थितियों और अपने समाजिक ताने बाने के कारण कई संघर्षों से ये प्रदेश गुजरता रहा है ! परन्तु योगदान के अंश में , भले ही वह स्वतंत्रता संग्राम हो , असहयोग आंदोलन हो , या देश निर्माण हो , कभी भी किसी अन्य राज्य से कमतर नहीं रहा ! श्रम व् श्रमिक की बहुलता लिए बिहार अपने लिए प्रगति के कोई स्थाई समाधान नहीं स्थापित कर पाया ! कोई भी राजनैतिक नेतृत्व प्रदेश में बार बार आने वाली बाढ़ की त्रासदी से मुक्त करने में भी लगभग विफल ही रहा है !
बिहार ने आज़ादी के बाद से 16 विधान सभा कार्यकाल के दौरान 23 मुख्यमंत्री को देखा है ! डॉ श्री कृष्णा सिंह सिन्हा कांग्रेस पार्टी से पहले मुख्यमंत्री 1952 से 1961 तक रहे! 'श्री बाबू ' को आधुनिक बिहार का वास्तुकार भी कहा जाता है !बिहार में जमींदारी प्रथा को समाप्त करने वाले वो देश के पहले मुख्यमंत्री थे ! बिहार में दलितों के उत्थान में भी 'श्री बाबू ' की भूमिका महत्वपूर्ण रही ! डा श्री कृष्णा सिंह ने ही दलितों को बैध्यनाथ मंदिर देवघर में प्रवेश दिलवाया था ! पहली पंच वर्षीय योजना के अंतर्गत बिहार में ग्रामीण उत्थान के लिए कई योजनाएँ लागु हुयी और बिहार देश के अग्रणी राज्यों के शिखर पर पहुंचा !
बिहार केसरी डा श्री कृष्णा सिंह व् उनके सहयोगी व् उप मुख्यमंत्री अनुग्रह सिंह के 1952 -1961 के काल को बिहार के उज्जवल काल के रूप में माना जाता है ! तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनाने वाले जगन नाथ मिश्रा के 1990 के बाद कांग्रेस कभी दुबारा बिहार की सत्ता में नहीं आ सकी ! 1990 के बाद लालू प्रसाद यादव का सत्ता काल 2005 तक रहा ! लालू यादव के शासन को भ्रष्टाचार और जंगल राज के रूप में बिहार में देखा जाता है ! 2005 से नितीश कुमार लगातार बिहार की सत्ता के शीर्ष पर अपनी राजनैतिक पलटियों और संधियों के साथ बने हुए हैं ! वर्तमान में भा ज पा नितीश कुमार की मुख्य सहयोगी पार्टी है !
जिस उद्देश्य केंद्रित राजनीति को मगध की भूमि से चाणकय ने सैद्धांतिक रूप में स्थापित किया था वह समय के साथ साथ अपने मूल को खो कर महत्वकांक्षा केंद्रित राजनीती में स्थापित हो गयी ! सामंती अधिकारवाद ने कई अंतर्विरोधों और विसंगतियों को इस भूमि में रोपित किया ! शोषण और शोषित के वर्ग संघर्षों ने प्रदेश को आधुनिक प्रगति से दूर ही रखा ! पूंजीवाद, सामंतवाद व संप्रदायवाद ने बिहार में लोकतान्त्रिक सैद्धांतिक मूल्यों को पनपने नहीं दिया !
2020 में कोरोना संक्रमण महामारी की विपत्ति के बावजूद बिहार में विधान सभा के चुनाव करवाने का निर्णय चुनाव आयोग ने किया है ! विहार विधान सभा के चुनावी मुकाबले में 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दल ( भा ज पा , कांग्रेस , ब स पा , रा कं पा , कम्युनिस्ट पार्टी , कम्युनिस्ट पार्टी माले ) 4 बिहार राज्य की प्रादेशिक दल ( राष्ट्रीय लोक समता पार्टी , जनता दल यू , लोक जन शक्ति पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल ) 9 अन्य राज्यों की प्रादेशिक पार्टियाँ के साथ साथ 138 के लगभग प्रदेश में पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियाँ भी अपने भाग्य आजमाएंगी !
एक बड़ा वर्ग स्वतंत्र उम्मीदवारों का भी चुनाव में अपनी आज़माइश करता है ! 2015 में ये संख्या लगभग 1150 थी ! 2015 के विधान सभा चुनाव में एक विधान सभा क्षेत्र में 6 -10 उम्मीदवार वाली 34 विधान सभा 11-15 उम्मीदवार वाली 141 और 15 से अधिक उम्मीदवार वाली 68 विधान सभा क्षेत्र थी ! लगभग 3450 उम्मीदवारों ने 2015 के चुनावों में अपना भाग्य आज़माया था ! स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 35 लाख 8 हज़ार 15 वोट प्राप्त किये थे जो कुल मतदान का 9. 39 % है लेकिन केवल 4 उम्मीदवार ही जीत सके ! अन्य पार्टियों ने जो पंजीकृत अमान्यता प्राप्त है के 1145 उम्मीदवारों ने 29 लाख 80 हज़ार 855 वोट हासिल किये जो कुल मतदान का 7 . 82 % था! बिहार के चुनाव में ये बड़ा वर्ग मुख्य पार्टियों और गठबंधन के समीकरण को बनाने बिगाड़ने में अहम् भूमिका निभाता है !
2015 में बिहार में 6 करोड़ 70 लाख 56 हज़ार 820 मतदाता थे जिसमे पिछले 5 सालों में लगभग 47 लाख 65 हज़ार 930 नए मतदाता और जुड़ गए हैं जो अब ये संख्या बढ़ कर 7 करोड़ 18 लाख 22 हज़ार 450 हो गई है ! ये 7.10 % बृधि है ! बिहार को हालाँकि बौद्धिकता की भूमि कहा जाता है लेकिन ये युवा मतदाता कोरोना काल , बढ़ती बेरोजगारी एवं आर्थिक कठिनाइयों में किन प्रभावों में अपने मतदान का प्रयोग करेंगे ये अभी कहना कठिन है ! 2015 के विधान सभा चुनाव में 3 करोड़ 79 लाख 93 हज़ार 173 वोट डाले गए थे 56.66 % मतदान हुआ था ! 2020 में कोरोना काल में मतदान की संख्या व् प्रतिशत बिहार चुनाव में एक मत्वपूर्ण कारक होगा !
गठबंधन की अदलाबदली और पाले बदलने के घटनाक्रम में बिहार में दलित जनसंख्या जो की अब लगभग 17 % तक पहुँच गयी है पर सभी राजनैतिक पार्टियों की नज़र है ! 22 दलित जातियाँ बिहार में अपने राजनैतिक भविष्य को नेताओं और पार्टियों के सहारे खोजती है ! इन जातियों में 70 % लोग रविदासिया , मुसहर ,पासवान समुदायों से है ! 2005 में ज द यू की और से 15 ,रा ज द से 6 ,भा ज पा से 12 ,लो ज श पा से 2 विधायक जीते थे ! 2015 में ज डी यू से 10 ,रा ज द से 14 ,कांग्रेस से 5 , भा ज पा से 5 दलित उम्मीदवार जीते थे ! 1977 बिहार से ही प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम हुए थे ! भोला पासवान शास्त्री बिहार में 60 के दशक में पहले दलित मुख्यमंत्री बने थे ! वर्तमान में राजनीती के 'मौसम वैज्ञानिक ' रामविसाल पासवान के पुत्र चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा आपदा में अवसर खोज रही है ! उप मुख्यमंत्री बनाने की अपने लिए चिराग पासवान नितीश कुमार की नीतियों को खुल आलोचना करने में लगे है ! श्याम सिंह रजक अब ज द यू छोड़ रा ज द के लिए कहाँ तक लाभकारी होंगे परिणामों के बाद ही तय होगा! जीतन राम मांझी खुद को अब ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और किसी नयी राह की तलाश में हैं !
संधि विशेषज्ञ अंतरात्मा से सुशासन चलने वाले नितीश कुमार के नेत्र्तव में महागठबंधन में भी ज द यू 2015 में 101 सीटों पे चुनाव लड़ कर 71 सीटें जीती और 64 लाख 16 हज़ार 414 वोट प्राप्त कर पायी थी ! वहीँ लालू यादव और तेजस्वी यादव की पार्टी रा ज द 101 सीटों पे चुनाव लड़ कर 80 जीती और 69 लाख 95 हज़ार 509 वोट प्राप्त की थी ! कांग्रेस का प्रदर्शन 1990 के बाद काफी उत्साहजनक रहा था!कांग्रेस 41 सीटों पे चुनाव लड़ के 27 सीटें अपनी झोली में डालने में सफल हुयी और 25 लाख 39 हज़ार 638 वोट जुटा सकी !
रा ज ग में भा ज पा 2015 के लोकसभा चुनाव में सफलता से आश्वस्त बिहार विधान सभा में 157 सीटों पे चुनाव में उतरी और उसकी सहयोगी रामविलास की लो ज श पा ४२ सीटों पे चुनाव लड़ी थी ! भा ज पा 93 लाख 8 हज़ार 15 मत हासिल कर के भी केवल 53 सीटें ही जीत पायी थी ! रामविलास की लो ज श पा 18 लाख 40 हज़ार 834 वोट ले कर भी केवल 2 सीटें ही जीत पायी थी ! उपेन्दर कुशवाहा की रा लो स पा पार्टी 23 सीटों पे चुनाव लड़ी और 9 लाख 76 हज़ार 787 मत पाने के बाद भी केवल 2 ही सीटों पे जीत मिल सकी !
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , भा क पा ( माले) एवं अन्य मार्क्सवादी पार्टियों ने मिल कर चुनाव लड़ था और 3 सीटों पे ही सफल हो पाये !
2020 में बिहार चुनाव में जातीय क्षेत्रीय समीकरण और गठबंधन सीधे तौर पे परिणामों को प्रभावित करेंगे ! इस बार बिहार विधान सभा गठबंधन ,नेतृत्व और पार्टियों से ज्यादा बिहार की जनता ही लड़ेगी ऐसी संभावना अधिक प्रबल है ! हालाँकि जमीनी स्तर पर कोई बड़े आंदोलन तो नहीं हुए परन्तु अपेक्षाओं की टीस और विपत्ति काल में शासन की नित्तियों के परिणाम जन मानस की स्मृतियों में दर्ज़ तो हैं ! आश्वासन कब आक्रोश में बदल जाते हैं ये चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलता है !
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