विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। शिक्षकों , उद्यमियों , कलमवीरों , वन खनन माफियाओ और सोन के आँचल में बसे सोनभद्र के गाँवों में बस रही सोनभद्र की आत्मा सोनभद्र के निवासियों को दिल से धन्यवाद।
हिमाचल के लाहौल स्फीति व विश्व धरोहर तीर्थन घाटी की गूँज से लेकर पंजाब के खुशहाल और नशे की गिरफ्त में कैद पिंड से आती सिसकियों की गूँज को समेटते लेह लद्दाख की पहाड़ियों में बसे अपने दस बीस पाठको की उम्मीद की दुनिया बुनते बुनते हम यानी लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया हरियाणा दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चौधराहट की खनक लिए ना जाने कब हजारो कोस दूर आपके बीच आ गए।
आपकी गूँज दिल्ली तक पहुंचाने की सनक के साथ और रज बस गए आपके बीच आपकी उम्मीदों की बाते लिखते पढ़ते। ना हमें कभी छोटे होने की बेबसी थी ना बड़े होने का गुमान , ना हम कभी किसी के पास किसी उम्मीद से या किसी सरपरस्ती की आस में बैठे थे ना किसी के लिए सरपरस्त बनने की हसरते पाले।
हाँ बस एक अकड़ तो हमारी सदा थी की हम फ़र्ज़ी और फिरौती पत्रकार बनना पसंद करते हैं पर चोर को चोर और रेपिस्ट को रेपिस्ट और अपराधी को अपराधी कहने में कभी आनाकानी नहीं करते और ना कभी करेंगे। हम अपने लोगो की आवाज उठाने में हमेशा ब्लैकमेलर जैसे नजर आएंगे पर किसी की चौखट पर अपनी कलम को गिरवी नहीं रखने जायेगे।
हमारी शुरुवात कई अच्छे साथियो के साथ हुई और आज हमें फक्र होता है कि हमारे पहले के ब्यूरो रागिनी और विशेष आज खुद अपना न्यूज़ पोर्टल लेकर आपकी आवाज बनने के लिए आपके बीच में है। और हमें यह पता है कि उनकी अपनी प्रतिभा उनको एक दिन बड़े मुकाम पर ले जाएगी उनके अपने सपनो के साथ उनकी अपनी दुनिया की चमक और धमक को बरकरार रखते हुए।
हम धीरे धीरे आप सबके बीच अपने बिलकुल नासमझ साथियो के साथ आपके दर्द को उठाने की चाल को घुटनो के बल अभी चलना सीख रहे है और आप हमें खड़े होने का जो उत्साह दे रहे है यही लोकल की ताकत है और यही हमारा पारिश्रमिक भी। लोकल कभी भी विरोध के दिखावे की राजनीती नहीं करता ,खुलकर विरोध करता है जो समाज के लिए गलत लगता है , बिना इस ख्याली पुलाव के की कल हमारा क्या होगा , कौन खुश होगा और कौन नाराज होगा ? हमने एक बात तो जानी की हर व्यक्ति में आक्रोश है पर वो निकाले किससे और कैसे ? अगर उसने कुछ कहा तो लाख उंगलिया उठेगी , किसी पत्रकार ने लिख दिया तो शायद बाकी पत्रकार साथी बुरा मान जाय खासकर बड़े संस्थानों में जुड़े हुए साथी पत्रकार यह भूलकर की उनका बड़ा संस्थान उन्होंने कभी अपनी कलम से अच्छा लिखकर बनाया है।
हम थोड़ा तीखा बोलते है लिखते भी अनाप सनाप है क्योकि हमें समझ नहीं है कि कैसे एक शिक्षक पत्रकार लिखता पढता हैं वो भी आपके बीच में रहते हुए और शायद अब हमें अपने साथी जो थोड़ा बहुत आपकी बातो को रखना सीख गए है उनको आगे बढ़ाने की जरूरत है तभी शायद लोकल हर गाँव पहुँच भी पायेगा बिना किसी लाग लपेट के।
और आज इसी कड़ी में मैं विजय शुक्ल फर्जी और फिरौती पत्रकार टाइप का सम्पादक होने की हैसियत से सूर्यमणि कनौजिया को सोनभद्र जिले की बागडोर सम्हालने की जिममेदारी और उधमियों की बजाने की खुली छूट देता हूँ। आप लिखे पढ़े बोले कहे सुने साथ में तो सोनभद्र के सभी बड़े बूढ़े तो हैं ही और सोनभद्र हैं तो इंडिया में ही हजार कोस दूर सही। मोबाइल तकनीक और इंटरनेट के जमाने में यह कोई दूरी नहीं है हम हमेशा आपके बीच में है ही कोई गद्दी छोड़कर तो जा नहीं रहे और ना संन्यास ले रहे है बस थोड़ा सोनभद्र के साथ साथ जिला जौनपुर, मिर्ज़ापुर और गाजीपुर के गाँवों की कुछ बाते कहने सुनने का मन कर रहा है। आज अच्छा समय है बदलाव का क्योकि फ़र्ज़ी डिग्री वाले मास्टर हो या लेट लतीफी करने वाला समाज कल्याण सब पर हावी है सोनभद्र के बीएसए , जिलाधिकारी और कप्तान। बस जरा उनको सही जानकारी पहुंचाने का काम लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया के साथियो को करना हैं बिना किसी विज्ञापन की लालच में और किस चढावे की उम्मीद में। बस बात सीधी और सपाट सुनिए और सुनाईये बाकी अखबार लाने की अब बेसिक तैयारी हो चुकी है जिस दिन सोनभद्र की जनता आदेश देगी हम उनके हाथो में होंगे।
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