बिहार पर भारी रावण गठजोड़ , कही पीडीए से ठगा ना रह जाय महागठबंधन और एनडीए
सोशल काका
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
पटना. बिहार में दलों के बीच में मनभेद जारी है.सोमवार को प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन यानी पीडीए बनाने की घोषणा की गयी.मंगलवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा),बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन किया गया है. बुधवार को भी मनभेद होने की खबर मिलने का कयास लगाया जा रहा है.राजद और कांग्रेस के साथ भी खटपट है.यह सवाल खड़ा हो गया है कि एनडीए और महागठबंधन के सामने कितना टिक पाएंगे?
जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सोमवार को यहां प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन यानी पीडीए बनाने की घोषणा की. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एसटीपीआई और बीपीएल मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल हुई है.
पीडीए के रूप में बिहार को नया विकल्प
गठबंधन का ऐलान करते हुए पप्पू यादव ने इसे मानवतावादी और सब को लेकर चलने वाला गठबंधन बताया. उन्होंने कहा कि यह गठबंधन 30 साल के महापाप को समाप्त करने के लिए बनाया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी बात राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से भी हो रही है, उनका भी इस गठबंधन में स्वागत है. दो दिनों में इस गठबंधन में और पार्टियां शामिल होंगी. उन्होंने लोजपा और कांग्रेस को भी इस गठबंधन में शामिल होने की दावत दी.
पप्पू यादव ने दो दिनों के बाद कॉमन कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने की भी घोषणा की. इस अवसर पर उन्होंने एनडीए और महागठबंधन दोनों को निशाना बनाते हुए कहा कि 30 साल का यह महापाप अब खत्म होना चाहिए. पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दौरान गुजरात और दिल्ली में लाचार बिहारियों की मदद नहीं की. उन्होंने नीतीश कुमार पर रघुवंश बाबू के अपमान का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार लाश पर राजनीति कर रहे हैं.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा),बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन
आज तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं न एनडीए में जा रहा हूं और न महागठबंधन में रहूंगा. राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में इतनी ताकत नहीं है कि वह बिहार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुक्ति दिला सके. इसके चलते हमने बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) के साथ गठबंधन किया है. हम बिहार को नया और बेहतर विकल्प देने जा रहे हैं.
नीतीश और तेजस्वी पर जमकर तंज
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने तेजस्वी यादव पर भी जमकर निशाना साधा, कहा- राजद को अपना नेतृत्व बदलना चाहिए. जब पार्टी का मुखिया ही दसवीं पास नहीं है तो वे बेहतर शिक्षा देने का दावा कैसे कर सकते हैं. हमारा गठबंधन बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगा. हमारी कोशिश सरकार बनाने की होगी. चिराग पासवान के बारे में पूछने पर कहा कि उनसे कोई बात नहीं हुई है, लेकिन हमारे गठबंधन में कोई भी आएगा तो उसका स्वागत करेंगे. इस गठबंधन में जनवादी सोशलिस्ट पार्टी भी शामिल है.
उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा, उससे पहले महागठबंधन पर भी कई तरह के आरोप लगाए. कहा जिस तरह से महागठबंधन चल रहा है उससे वे बिहार को नीतीश कुमार से मुक्त नहीं करा पाएंगे. नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों को खूब सपने दिखाए हैं. उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करेंगे. भ्रष्टाचारियों के मकान और जमीन को जब्त करेंगे. ऐसे कितने भ्रष्टाचारी हैं जिनके मकान और जमीन को जब्त कर वहां स्कूल और अस्पताल खुलवाए गए.
कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार 15 साल पहले वाली सरकार के रास्ते पर चल रही है. इनके लूटने का तरीका बदल गया है. नीतीश कुमार की सरकार 15 साल में पीएमसीएच को ठीक नहीं कर पाई. एक भी मॉडल स्कूल और अस्पताल नहीं बना. कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है. हत्याएं हो रही हैं. महिलाओं के साथ रेप और अत्याचार भी इस सरकार में खूब हुए हैं.
उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार से बिहार को मुक्त कराना चाहते हैं, लेकिन ऐसा महागठबंधन में रहते हुए नहीं हो पा रहा था. राजद कोई परिवर्तन नहीं कर पा रहा है. महागठबंधन भी भाजपा की तरह हो गया है. बिहार की जनता अब नया विकल्प चाहती है. लोग पुराने 15 साल में नहीं लौटना चाहते. हम बिहार को एक नया और बेहतर विकल्प देना चाहते हैं. कुशवाहा ने अपना नारा भी सार्वजनिक किया. कहा-'अबकी बार शिक्षा वाली सरकार'. कुशवाहा ने कहा कि 30 साल में बिहार रसातल में चला गया है. हमें 5 साल दीजिए, एक बेहतर बिहार बनाएंगे.
उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस के बारे में कहा कि कांग्रेस आज भी बड़ी पार्टी है. उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की. असल में महागठबंधन किसी से बात करने के लिए बैठा ही नहीं तो बात कैसे होगी? वाल्मीकिनगर से उपचुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है.
एक नजर बिहार की गुना गणित पर
बिहार राज्य में लगभग 38जिले हैं जिन पर करीब 243 सीटों पर इस बार विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार चुनाव में हमेशा से ही जातीय समीकरण ने पार्टी की किस्मत तय की है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलने वाला है. बिहार में करीब 6 करोड़ 68 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. 2015 विधानसभा चुनाव में जो जातीय समीकरण देखने को मिला था उसमें 47 प्रतिशत OBC वोट बैंक था. जबकि दलित 20%, मुस्लिम 16.9% और ऊँची जाती का 11 प्रतिशत वोट बैंक रहा था. 2015 में सबसे ज्यादा 80 सीटें आरजेडी को मिली थी जबकि एनडीए को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थी, इसे महागठबंधन का नाम भी दिया गया था. दूसरी तरफ 53 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी जबकि एलजेपी 2 सीटें जीत पाने में कामयाब रही थी. लेकिन इस बार नीतीश कुमार राजग के साथ चुनाव लड़ने जा रहे हैं. जातीय समीकरण भी नीतीश कुमार के पक्ष में हैं. ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि बिहार में इस समय नीतीश कुमार और राजग का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
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