दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में “संविधान की मुख्य धाराएँ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में “संविधान की मुख्य धाराएँ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
सोशल काका
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 26 नवम्बर 2020 को “संविधान की मुख्य धाराएँ” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया । डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई व विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री सुभाष चंद्र कन्खेरिया, सदस्य, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड तथा वक्ता के रूप में प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय उपस्थित रहे ।
श्री सुभाष चंद्र कन्खेरिया ने संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को बताया कि किसी भी देश का संविधान उसकी राजनैतिक व्यवस्था का बुनियादी ढांचा निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। इसी के अंतर्गत राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना, उसकी शक्तियों की व्याख्या तथा राजव्यवस्था के मूल सिद्धातों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान उसके संस्थापक डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण है। उन्होंने संविधान से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा की।
प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने भारतीय संविधान के गठन, प्रासंगिकता, संविधान गठन से जुड़े बाबा साहेब के विचारों आदि पर श्रोताओं को विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने संविधान के मुख्य अनुच्छेदों एवं धाराओं पर विस्तार में प्रकाश डाला। संविधान एवं मौलिक अधिकारों के गठन से जुड़े कई पक्षों, भारत के संवैधानिक इतिहास तथा उससे जुड़ी महत्वपूर्ण व युगांतकारी घटनाओं पर भी उन्होंने चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि बाबा साहेब सदैव ही विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा देने के पक्ष में थे ताकि समाज को सभी धर्मों का सकारात्मक ज्ञान मिले और समाज में एकता स्थापित रहे। प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने बड़ी ही बारीकी से विषय से जुड़े प्रत्येक महत्वपूर्ण पहलुओं को श्रोताओं से साझा कर उनका ज्ञानवर्धन किया।
डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड ने बाबा साहेब एवं संविधान गठन सभा से जुड़े सभी विद्वानों को नमन कर अपने वक्तव्य का प्रारम्भ किया। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि भारतीय संविधान अत्यंत ही जटिल होने के साथ-साथ सरल भी है I महत्वपूर्ण है तो बस इस विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित नियमावली का अनुपालन करना। भारतीय संविधान में एकता, अखंडता एवं समरसता को बनाये रखने हेतु आवश्यक प्रावधान निश्चित किये गए हैं। धार्मिक मामलों में इसमें तटस्थ दृष्टिकोण निहित है। यह धर्म के क्षेत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता प्रदान करता है। उन्होंने मौलिक अधिकारों के महत्व पर भी चर्चा की। अंत में उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें