विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। तीन किसान बिलो को काला कानून बता इसको खारिज करने की मांग के साथ पंजाब के किसानो ने दिल्ली कूच किया और अब तो सारा देश उनके साथ एकजुट दिख रहा हैं वो अलग बात हैं कि खाली पंजाब हरियाणा , पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एजेंडा फेल होते देख लोगो ने इसको खालिस्तानी और पाकिस्तानी एजेंडे से अब इसको लेफ्ट का एजेंडा भी बताना शुरू किया।
पर अगर आप वाकई में किसान आंदोलन को समझना चाहते हैं तो एक बार आम इंसान बनकर जाईये बिना किसी राजनीतिक भावना या विचारधारा के तो आपको मिलेगा किसान आंदोलन की सोंधी खुशबु का स्वाद।
पंजाब का हर गाँव इसको सेवा भाव से ले रहा हैं और हर गाँव से बीस तीस लोगो का जत्था आता हैं लंगर लगाता हैं पिछले जत्थो को वापस रिचार्ज होने के लिए भेजता हैं और आनंद लेता हैं इस आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी का। और अब तो यह कारवां बढ़ता जा रहा हैं देश के हर कोने से लोगो के आने का और इसमें जुड़ने का।
बस एक मजेदार बात हैं कि यह किसानो का आंदोलन हैं इसमें किसी दलाल की एंट्री नहीं हैं और ना ही किसी नेता की। रही बात भाजपा सरकार की तो शायद वो किसान आंदोलन को तोड़ने के हर प्रयास करने का कार्यक्रम और योजना का क्रियान्वयन कर रही हैं और उसमे शायद पूरी हिस्सेदारी निभा रहे हैं इस बनाने के लिए टिकैत साहब। वरना ब्राह्मणो का मुद्दा वो उठाते ही नहीं।
खैर छोड़िये अब बात करते हैं पंजाब के रोपड़ के अभियाना कलां के आये युवाओ का जत्था और उसमे अपनी पूरी सिद्द्त से हिस्सेदारी बटा रहे दर्शन सिंह जैसे बुजुर्ग साथी। दर्शन सिंह जी का अपना ट्रांसपोर्ट का व्यापार हैं और वो भी समय निकाल कर लंगर में अपनी मौजूदगी का एहसास अपने पिंड से आये हुए लोगो के साथ खड़े होकर करवा रहे हैं और शायद यही इस किसान आंदोलन के मजबूत होने की असली कहानी है। क्योकि चाहे वो रोपड़ हो या फ़िरोज़पुर हर गाँव से लोग आ रहे हैं जुड़ रहे हैं और अपनी भागीदारी तय कर रहे हैं।
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