विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
सोनभद्र। हजार किलोमीटर दूर से मुझे यह कहानी पंचायत चुनावों में चल रही धांधली का विजिटिंग कार्ड भर मालूम पड़ती हैं क्योंकि जो कुछ खेल इस महामारी में सोनभद्र की पंचायतों में खेला गया वो खेल पूरी पंचायतीराज व्यवस्था को नेस्तनाबूद करने में ही प्रयोग होगा.
चुनावी तंत्र का जारी किया हुआ जीत का प्रमाण पत्र की वैधता ग्राम प्रधानों के शपथ के दिन तक थी उस दिन चुनावी तंत्र की डर्टी पिक्चर ने किसी और के नाम दूसरा प्रमाण पत्र जारी किया जिसको शपथ लेने की मान्यता थी और यह खेल विशुद्ध राजनीतिक सत्ता के जानकारों का था.जिसको सदस्य का शपथ लेने योग्य प्रमाण पत्र जारी किया गया वो रामराज वाली संस्था का एक जिम्मेदार सिपाही जो ठहरा और शायद उसका यह रसूख चमचागीरी करने वाले अधिकारियों पर शायद भारी पड़ रहा हो वर्ना अधिकारी अपने ही प्रमाणपत्र को बदलने का खेल क्यों खेलते.
वैसे पूरी क्रोनोलॉजी इस एक चित्र से आपको समझ आएगी. और यह पूरा खेल पंचायती व्यवस्था में लगे भ्रष्टाचार का दीमक का एक सटीक नमूना हैं. खासकर उस जिले मे जहाँ का डीएम फोन ना उठाता हो और एडीएम पल पल अपना बयान बदलता हो.
यह पूरी कहानी ब्लॉक म्योरपुर के ग्राम पंचायत सेंदूर न्याय पंचायत जरहा के वार्ड नंबर 3 की हैँ जहां ग्राम पंचायत सदस्य पद हेतु पहले दिव्या दुबे को विजेता घोषित किया गया फिर उसके 20 दिन बाद सोनू कुमार को विजेता घोषित कर दिया।
मतगणना के बाद प्रमाण पत्र दिव्या दुबे को दिया गया लेकिन शपथ ग्रहण के ठीक 4 दिन पहले सोनू कुमार को विजेता बताया गया।
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