विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री कमल मोरारका का नाम कौन नहीं जानता। पर कोई सोच भी नहीं सकता कि एक इतनी बड़ी हस्ती की मौत गुमनामी की दुनिया में कैसे हो जाती हैं ? ना कोई समाचार ना कोई खबर ना कोई राजनैतिक हलचल और ना ही व्यावसायिक। सब कुछ ख़ामोशी से मानो निपटाया गया हो।
आखिर ऐसा क्या था कि गैनन डनकरले कंपनी लिमिटेड के नाम से व्यापार की दुनिया में एक बड़ा नाम इतनी खामोशी से विदा कर दिया गया हो। बस यही बात हजम नहीं हो सकी. क्योकि मेरी दो तीन बार की मुलाक़ात में कमल मोरारका जी को जितना मैं समझ सका था वो एक इंसान की सोच उसकी राजनीतिक समझ और समाज के प्रति उसकी संवेदनशीलता के लिए काफी था। एक बेबाक चेहरा , सामाजिक शख़्सियत और किसानो के प्रति सजग रहने वाला इतना बड़ा कद और राजनीतिक रसूख रखने वाला इंसान अपने परिवार और व्यापार के लिए ठन्डे बस्ते में डालने वाला नाम तो नहीं हो सकता।
बस यही वजह थी कि हमने कोशिश की थोड़ा सा समझने और आपको इस खबर से रूबरू कराने की। कही ऐसा तो नहीं बड़े व्यापार ने उनके अपनों की आखों में उनको किरकिरी बना दिया हो या कही वो लगातार घाटा और बिकवाली के सिलसिले वाली राह में वो रुकावट बन रहे हो जैसा दबी जुबान में बाजार में चर्चा हैं। मैंने एम आर मोरारका जीडीसी रूरल रिसर्च फाउंडेशन जीडीसी लिमिटेड के सीएसआर इनिशिएटिव के मुख्य कार्यकारी / संचालन प्रमुख / निदेशक / कार्यकारी निदेशक के रूप में कमल मोरारका द्वारा स्वतंत्र अधिकार के साथ नौकरी में रखे गए मुकेश गुप्ता से बात की तो एक नयी कहानी पता चली। हालांकि यह बाजार में चर्चा ही थी जिसकी वजह से मुझ जैसे पत्रकार को मुकेश गुप्ता तक पहुंचने का रास्ता मिला। मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे और उनका जबाब देर से ही सही लेकिन आया लिखित आया जो मेरी खबर का हिस्सा हैं।
अगर उनके जबाब के अनुसार हम सरल शब्दों में कहे तो उनको अब जीडीसी लिमिटेड से निकाल दिया गया है - 2 जून 2021 से प्रभावी, निराधार, तुच्छ, मनगढ़ंत, कपटपूर्ण कारण बताते हुए, सबसे अधिक संभावना जीडीसी लिमिटेड प्रबंधन में तथाकथित निहित स्वार्थों द्वारा किए गए लालच, भय और प्रतिशोध से प्रभावित होना इसके पीछे की मंशा हो सकती हैं।
बड़ा सवाल यह हैं कि कमल मोरारका जी की मौत के ठीक बाद ही उनके सबसे काबिल और विश्वासपात्र नियुक्त किये गए व्यक्ति को इतनी चालाकी से उसके खिलाफ अलग अलग आरोपों के तहत निकालने की यह जरूरत आखिर क्यों आन पडी। इसके पीछे कमल मोरारका के दामाद बेटी और कुछ अधिकारियों का इतना बड़ा और पेचीदा रास्ता अपनाने का क्या कारण था ? क्या बेटी और दामाद और कुछ बड़े अधिकारी कमल मोरारका जी की व्यापारिक दुनिया को किनारे लगाना चाहते हैं ? या इसके पीछे उनके आरोप एक पुख्ता सबूतों के साथ लगाए गए हैं ? इन सबका जबाब हम खोज रहे हैं और खबर में उन सभी किरदारों पर बारी बारी से चर्चा हो सकती हैं। पर अभी मुकेश गुप्ता के जबाब अपने आप में एक अलग साजिश का इशारा कर रहे हैं जिसका अगर सही मायने में जांच पड़ताल करने की पहल की जाय तो हो सकता हैं कि कमल मोरारका जी का गुमनामी से इस दुनिया से अलविदा हो जाने का राज भी बेपर्दा हो पाए।
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