स्पेशल महिला पुलिस कर रही नेहरू प्लेस में उर्मिला देवी के ठीहे की रखवाली, एसोसिएशन , एमसीडी और डीडीए सब के राडार पर हैं बस उर्मिला देवी नामक यह रोजाना पटरी लगाने वाली महिला
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। कई सिपाही आये और गए , साल बीते महीने बीते पर अगर नहीं बदला तो बस उर्मिला देवी के ऊपर पुलिसिया लाठी का जोर , एसोसिएशन की फोटो खींचने की प्रैक्टिस और इस महिला को प्रताड़ित करने की योजनाए। कही वेटलेशन और दूकान का दाम बढ़ाने की नीयत से सीढिया टूटी और वो भी अधिकारियों की मर्ज़ी के या बिना मर्ज़ी के और अलग अलग विकास के पैमानों पर खिड़किया बंद की भी गयी अब मर्ज़ी या बिना मर्ज़ी इसकी कोई ख़ास जरूरत नहीं क्योकि फोना जैसा बड़ा संगठित एसोसिएशन अर्जी देकर कुछ भी करवाने किसी को भगाने या उठवाने का पूरा अधिकार रखता हैं , जिम्मेदार संगठन हैं और पूरी जिम्मेदारी से उर्मिला देवी एक दिन अपने घर के गुजारे के कमाई ना कर दे इसका पूरा ख्याल रखता हैं और पुलिस बेहद संजीदा और सजग हैं इस मामले में। इतनी संजीदा हैं कि बाकी चाहे हजार लोग दुकाने लगा ले पर मजाल हैं कि उर्मिला देवी लगा ले। और अब तो स्पेशल महिला पुलिस की तैनाती भी कर दी गयी हैं। यह अलग बात हैं कि उर्मिला देवी की शिकायत पर पुलिस के आला अधिकारियों का पूरा कुनबा खामोश हैं। और महिला सशक्तिकरण का खेल खेलने वाले लोग मोदी जी के सारे सपनो को नए पैमानों तक ले जा रहे हैं। महिला आयोग से लेकर महिला संगठन तक सब खामोश हैं कि आखिर ऐसा क्या गुनाह किया इस उर्मिला देवी नामक महिला ने जिसको २००६ से लेकर आज तक चालान से लेकर रोजाना के पुलिसिया चढावे का एसोसिएशन के दबाव में या गुजारिश पर या माननीय अदालत के आदेशानुसार इतने पुलिसिया पहरेदारी के साथ रोज की दिहाड़ी कमाने से रोका जाता हैं। यह सवाल जायज हैं और रहेगा क्योकि इस देश में संविधान हैं कानून हैं और सरकार भी हैं और पुलिस में अच्छे भले लोग भी हैं। डीडीए और एमसीडी भी हैं पर लिस्ट में नाम एसोसिएशन के लिखे हिसाब से हैं ऐसा क्यों ? इसके पीछे का खेल क्या हैं ? आखिर पंचानबे से एक सौ पचासी के बीच की नाम नेहरू प्लेस में कहा गायब हो गए या कर दिए गए। आखिर क्या हैं उर्मिला देवी के उस ठीहे के पीछे छुपा राज जिसके पीछे इतनी चाक चौबंद व्यवस्था हैं ?
आईये तो आपको एक छोटी सी कहानी बताते हैं। आपने वेलकम मूवी देखी ही होगी जिसमे नाना पाटेकर का एक विजिटिंग कार्ड था जो बताता था कि उदय भाई बहुत नेक इंसान हैं टाँगे तोड़ दी पर ....... ऐसा ही कुछ बड़ा खेल नेहरू प्लेस में भी हैं जिसमे उर्मिला देवी के ऊपर लिखे जा रहे इस ऐतिहासिक पहरेदारी की दास्तान को विजिटिंग कार्ड बनाया गया हैं कि पंगा लिया तो पानी पीने को मोहताज कर देगी पुलिस और यह एसोसिएशन रुपी ठेकेदार। जिन्होंने पूरे बेसमेंट को शोरूम बना दिया हैं जिसकी अनुमति डीडीए और एमसीडी के कागजो में स्टोरेज के लिए थी या होगी और पुलिस को यह शायद नहीं दिखेगा। असल में नेहरू प्लेस पर कब्जा इन अतिक्रमण कारी एसोसिएशन का हैं पर जुल्म की दास्तान उर्मिला देवी पर लिखी जा रही हैं। हो सकता हैं आपको हमारे लेख से हंसी या गुदगुदी आये या फिर गालियां देने का मन करे पर एक हकीकत हमेशा सही थी और रहेगी कि रानी लक्ष्मीबाई को भी इस देश में मौत के मैदान में फंसाया था और उर्मिला देवी को भी। महिला होना शायद बड़ा अभिशाप हैं उर्मिला देवी के लिए। और इस महामारी में जहां सरकार ऐसे लोगो को ज़िंदा रखने और बचाने की कवायद कर रही है और माननीय अदालते मानवीय मिसाल पेश कर रही हैं ऐसे में यह पुलिसिया पहरा एक नजीर हैं सभी लोगो के लिए।
यह तो यहां बैठी यह महिला पुलिस या अधिकारी ही बता सकते हैं कि क्या माननीय अदालत ने , डीडीए ने या एमसीडी ने महिला उर्मिला देवी को नेहरू प्लेस में ना घुसने , बैठने या दिहाड़ी कमाने का कोई आदेश जारी किया हैं और अन्य लोगो को इससे दूर रखा हैं अगर नहीं तो एक महिला के साथ ही ऐसी ज्यादती क्यों ?
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