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" नीलम नहीं यह आंधी हैं क्योकि आधी से ज्यादा हमारी आबादी हैं " जुब्बल कोटखाई का चुनाव तिलिस्म समझना मुश्किल सा हो रहा हैं , निर्दलीय और कांग्रेस के सामने भाजपा की अलग चाल आखिर हैं क्या ?

 यह शायद इतिहास में पहली बार हुआ हैं जब तिलक आरती के साथ आधी आबादी की आंधी कर रही हो उम्मीदवार का समर्थन और स्वागत 



हम है सेब वाले के बदले बागी भी दागी भी  का नारा लोगो में चर्चा में हैं 

अंजलि 
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया 
जुब्बल कोटखाई , हिमाचल।  चुनाव आएंगे जाएंगे, लोग जीतेंगे और हारेंगे , पर कभी कभी चुनाव में ऐसे ऐसे दृश्य आ जाते हैं जो अंदर से चुनाव और उम्मीदवारों के प्रति जनता के आत्मविश्वास का सीधा सीधा संवाद बन जाते हैं। ऐसा ही कुछ वाकिया जुब्बल कोटखाई विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार का तिलक लगाकर , माला फूल पहना कर स्वागत करती महिलाओ  से दिखा जो कि  आजकल लगभग ना के बराबर हैं और शायद ही कही दिखता हो वो भी डोर टू  डोर जनसम्पर्क अभियान में। महिलाओ का उस समय इस तरह अपने उम्मीदवार का स्वागत करना कुछ अलग ही माहौल बना रहा हैं।  हो सकता हैं यह उनके मन की बात हो और अगर ऐसा हुआ तो चुनावी गुणा  गणित का आकंड़ा बदला दिख सकता हैं। 



कई दिनों से लगातार अपने ही परिवार से निकलकर उसी को गाली देने का जो माहौल बना था और जिस तरह भाजपा से लोग निकाले जा रहे थे उससे दो सन्देश जा रहे थे एक की जो बागी हैं और दागी हैं वो बाहर जायेगा और उसकी वापसी नहीं होगी।  दूसरा निर्दलीय उम्मीदवार के साथ केंद्र के मंत्री का नाम जोड़कर अफवाह को खुद मंत्री ने ही साफ़ करके संदेह ख़त्म किया कि  जो भाजपा का हैं उसके पास कमल हैं अगर कमल नहीं तो उनका या पार्टी का नहीं।  


शायद कार्यकर्ताओ में यह एक नयी ऊर्जा के समान दौड़ा और महिला उम्मीदवार के पक्ष में क्षेत्र  की महिलाओ की आंधी सी आयी ऐसा भाजपा समर्थको का कहना हैं और शायद यह शिक्षा विभाग में लगातार एक के बाद एक काम और उसको निरंतर आगे रखना चाहे वो नियुक्तियों को रेगुलर करना रहना हो या पीटीए का निराकरण यह शायद महिला शिक्षिकाओं के अंदर अपनी ही आबादी के प्रति लगाव का नजारा भी हो।  ऐसा नहीं हैं कि  कांग्रेस तैयार नहीं हैं पर कांग्रेस में लगातार हो रही दो फाड़ ने और निर्दलीय उम्मीदवार के ऊपर लगाए जा रहे सेबवाले बनकर सेबवालो को ठगने के आरोप के साथ बागी ही दागी हैं का नारा तो निकला ही था अब नीलम नहीं यह आंधी हैं क्योकि आधी से ज्यादा हमारी आबादी हैं  भी गूंजने लगा हैं। 


जानकार मान रहे हैं कि जो मुकाबला त्रिकोणीय दिखाया या देखा जा रहा था वो अब बदल गया हैं और इस बार इतिहास बनेगा जिसमे लोग जानेगे कि  भाजपा में कोई बागी नहीं होता जो बागी होता हैं वो भाजपाई नहीं होता और यही एक बड़ी जीत का इतिहास बनाएगा।  


भाजपा कार्यकर्ताओ का बूथ स्तर पर संघ और संगठन के साथ रणनीति बनाने का दौर जारी हैं तो निर्दलीय उम्मीदवार का सोशल वार और इन सबमे कांग्रेस ख़ामोशी से इन्तजार कर रही हैं अपनी जीत की गणित का बिना यह चिंता किये हुए कि  इस बार भाजपा ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा दी हैं। पर क्या वाकई ऐसा इतिहास रचा जा पायेगा जहां एक महिला उम्मीदवार के नाम की घोषणा के बाद ही दशकों से भाजपा की सेवा करने वाला और मेवा करने वाला बागी बन जाता हैं यह सवाल स्थांनीय दुकानदार उठा रहे हैं।  पर जिस तरह से यह लोग प्रोफ़ेसर धूमल के कामो को याद कर रहे हैं वो शायद इनका अपना अनुभव ही होगा।  



(यह कोई भाजपा समर्थित लेख ना माने यह महज एक कवरेज हैं और हमारे रिपोर्टर  मकसद किसी भी तरह चुनाव को या किसी चुनावी  प्रत्याशी को बढ़ावा देने या उसको नीचा दिखाने के लिए नहीं हैं।  अगर आपको कोई भी आप्पत्ति हो तो आप कमेंट करे हम इस खबर की सही प्रस्तुति करेंगे। मतदान आप सबका हक़ हैं और इसमें आप सबको आगे बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए )

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