कारनामों की भब्य चमक के साथ एक बार फिर सुर्खियों में छाया 'म्योरपुर'
भब्य व्यवस्था से शिक्षक समाज हुआ स्तब्ध, 'म्योरपुर के गौरव'का हुआ स्वागत
लग गया मजमा, बढ गया रुतबा... सिर गर्व से हुआ ऊचा, आशा की किरण और व्यवस्था बचाने की दिव्य मुहिम के बीच
निखरने लगी "आभा"
मेधा की चमक, शिक्षक सतर्कता के साथ कर्मयोगी का हुआ जय- जयकार!
चमकते सूरज की तरह परीक्षाओं की तपिश में कुन्दन बनकर निकले 'नये खण्ड शिक्षा अधिकारी'
निष्ठा फैलाने की ललक, परम्परा,सिद्धांत त्याग,एवं समर्पण के बीच बेसिक शिक्षा म्योरपुर के गौरव बने "विश्वजीत"
"साधना द्विवेदी"
लोकल न्यूज़ आफ इन्डिया
म्योरपुर, सोनभद्र।
परिन्दों को मन्ज़िल मिलेगी यकीनन
ए फैले हुए उनके पख बोलते है
वे लोग रहते हैं खामोश अक्सर
जमाने में जिनके हुनर बोलते है...
जैसे मेधा किसी की मोहताज नहीं होती... बड़े सपने कुछ यूँ ही नहीं पूरे होते उसी तरह कुशल प्रशासक का तमगा यूँ ही नहीं मिलता उसके लिए व्यक्तित्व एवं कृतित्व से विभाग के विविध रगों को सयोजने का काम करना पड़ता है, कुछ इन्ही पक्तियो से प्रेरित गजब के रसूख के साथ धैर्य रखने, बड़ी सजीदगी से कर्तव्य- निर्वहन, व्यापक रणनीति से समृद्ध, मजबूत एवं विकसित तन्त्र निर्माण में माहिर, बेसिक स्कूलों की मूलभूत ब्यवस्था एवं मानिटरिंग के चमत्कारिक कायापलट का अलख जगा चुके नए खण्ड शिक्षा अधिकारी म्योरपुर "श्री विश्वजीत" का बीआरसी देवरी(म्योरपुर) में शिक्षक हुजूम के साथ भब्य स्वागत किया गया.
कार्यक्रम का सफल सचालन रजनीश श्रीवास्तव ने तथा व्यवस्था निखारने की कवायद में माहिर एआरपी "अखिलेश देव पान्डेय"ने सकारात्मकता का सन्देश एवं ज्वलंत विभागीय चुनौतियों तथा उसके सम्यक् एवं त्वरित निराकरण का ठोस रुपरेखा प्रस्तुत किया.
"सकल्प की बढ़ती प्रमाणिकता" एवं उल्लास की आहट के बीच इस अवसर पर विनोद पाण्डेय, राममूर्ति सर, सर्वेश गुप्ता, पवन शुक्लेश, बब्बन प्रसाद गुप्ता, अनिल कुमार द्विवेदी, इकरार अहमद,हीरामणी सर, सुमन यादव, छोटेलाल साहू, विनोद दुबे, पकज वैश्य, मनोज दुबे, अरविंद द्विवेदी, उत्कर्ष द्विवेदी और मुहम्मद आरीफ के अतिरिक्त शिक्षकों का भारी हुजूम था.
पत्रकारिता को "नई दिशा" देती, प्रमाणिकता की सशक्त स्तम्भ बनी "एलएनआई" से प्रथम मिडिया वार्ता के क्रम में नए खण्ड शिक्षा अधिकारी के इस प्रेरक लाईनों से शिक्षकों में गजब का उत्साह भर गया कि...
हौसलों की आग,
धधक रही निगाहों में.
मुश्किलों में इतना दम नही कि, हमें रोक दे राहों में...
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