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शिक्षा के क्षेत्र में नम्बर एक राज्य हिमाचल प्रदेश निरमण्ड खण्ड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला बखन स्कूल में जातिवाद की कहानी।

 


लोकेन्द्र सिंह वैदिक/गब्बर सिंह वैदिक

लोकल न्यूज़ ऑफ इंडिया

जाति प्रथा समाज की एक विकट समस्या है। इसके कारण समाज में असमानता,एकाधिकार,विद्वेष आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं।जाति प्रथा की सबसे बड़ा दोष छुआछूत की भावना है। इसके कारण संकीर्णता की भावना का प्रसार होता है। और सामाजिक राष्ट्रीय एकता में बाधा आती है।


जाति प्रथा का अर्थ वर्ण व्यवस्था का प्रारंभिक आधार कर्म था किन्तु कालान्तर में वर्ण कठोर होकर विभिन्न जातियों में परिणत हो गये। तथा जाति का आधार विशुद्ध रूप से जन्म हो गया।वैदिक साहित्य में जाति प्रथा का कोई उल्लेख नहीं मिलता।

जातिवाद के चलते व्यक्ति की निष्ठा अपनी जाति तक सीमित हो जाती है। वह जातीय हित को सामाजिक हित से श्रेष्ठ समझता है जिसकी वजह से वह उसकी पूर्ति मे जायज या नाजायज ढंग से लगा रहता है। इससे समाज मे सामुदायिक भावना का ह्रास होता है। सामुदायिक भावना के ह्रास से सामाजिक एकता कमजोर होती है।


दुनिया चांद को छोड़कर आज मंगल ग्रह पर बसने की तैयारी में है।लेकिन भारतवर्ष आज भी जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव की जड़ों में जकड़ा है।पूरे संसार मे सनातन धर्म(हिंदू धर्म)सबसे पुराना धर्म है।लेकिन रुढ़िवादिता,अंधविश्वास,जातिवाद और भेदभाव की वजह से आज अल्पसंख्यक के कगार पर है।ब्लड बैंक में रक्त लेते हुए,ना तो जाति पूछी जाती है।और ना ही धर्म पूछा जाता है।जब अपनी हवस मिटानी हो तो तब भी जाति और धर्म का कोई लेना देना नही होत।लेकिन जब बात शादी विवाह की आती है,तो तब धर्म,गोत्र और जाति का विशेष महत्व रहता है।


जहाँ एक ओर राष्टपति के पद पर दलित व्यक्ति को बैठाया गया।तथा हाल ही में आदिवासी 

महिला को राष्ट्रपति पद पर बैठाया गया।बड़े स्तर पर जातिवाद को खत्म करने की कोशिश कागजों में की जा रही है।लेकिन निचले स्तर पर न कागजों में कुछ हो रहा है।और न ही धरातल पर।कुछ एक ज्ञानियों का मानना है,कि आरक्षण खत्म होना चाहिए।जो ग़रीबी के आधार पर मिलना चाहिए।जातिवाद,भेदभाव और छुआछूत हजारों वर्ष पुराना कैंसर है।जातिवाद की वजह से आरक्षण की जरूरत पड़ी।आज जातिवाद को खत्म करने की मांग कोई नही करता है।


किसी भी राजनीतिक दल ने इसको मिटाने के लिए आजतक कोई भी ठोस कदम नही उठाये हैं।क्योंकि उन्होने अपने वोट बैंक के लिए ब्राह्मण समाज,क्षत्रिय समाज,अनुसूचित जाति मोर्चा और अनुसूचित जनजाति मोर्चा आदि जाती के नाम पर कई संघठन चलाये हैं।इतिहास गवाह है,कि इन्ही व्याधियों की वजह से आज तक हिन्दू धर्म के लोगों ने धर्म परिवर्तन किए हैं।वो दिन दूर नही अगर इन कुरीतियों को ना मिटाया जाए।आने वाले समय मे हिंदू सिर्फ नाम मात्र रहेगा।


निरमंड खण्ड के अंतर्गत राहनु पंचायत के राजकिय प्राथमिक पाठशाला बखन में मिड डे मील कार्यकर्ता के साथ जातिय भेदभाव आया था।जिसमे मिड डे वर्कर तिला देवी ने आरोप लगाया था,कि उनको जातिसूचक शब्द से पुकारा जाता है।दस बच्चे स्कूल का खाना नही खाते थे।वह घर से लाया हुआ खाना नही खाते हैं।जिसकी जांच 23/07/2022 को डिप्टी डायरेक्टर कुल्लु व एस डी एम निरमण्ड ने की।निरमण्ड खण्ड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला बखन में एस डी एम आनी,डिप्टी डारेक्टर कुल्लु,एस एम सी,युवक मण्डल,महिला मंडल और गांव वालों के सामने खिलाया खाना।जो दस बच्चे खाना नही खाते थे।उस में से तीन बच्चे स्कूल आये थे।एक बच्चे ने आज भी घर से खाना लाया था।बाकी बच्चों को अभिभावकों ने घर से नही भेजा था।डिप्टी डारेक्टर ने जिला कुल्लु के सभी स्कूलों को जातीय भेदभाव न करने के आदेश दिए हैं।अगर भविष्य में इस कोई मामला आता है,तो उनके खिलाफ सख़्त कार्यवाही की जाएगी।यह थी शिक्षा के क्षेत्र में नम्बर एक हिमाचल प्रदेश के बखन स्कूल की दासतान जहाँ पर पढ़ाई के साथ साथ एस एम सी के द्वारा जातिवाद,भेदभाव व छुआछूत भी परोसा जा रहा है।

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