प्रिया बिष्ट,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
चंडीगढ़: बेयर ने भारत में केरेन्डिया ब्रैंड के तहत् फिनरेनॉन को लॉन्च करने की घोषणा की है। फिनरेनॉन अपनी तरह की पहली नॉन-स्टेरॉयडल, सलेक्टिव मिनिरलोकॉर्टिकॉयड रिसेप्टर एंटागोनिस्ट है जो क्रोनिक किडनी रोगों तथा टाइम 2 डायबिटीज़ मरीज़ों को दी जाती है। हाल में कराए गए इंडियन क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) अध्ययन से यह सामने आया है कि मधुमेह भारत में क्रोनिक किडनी रोगों तथा एंड-स्टेज किडनी डिज़ीज़ के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। मधुमेह से ग्रस्त 40 प्रतिशत से अधिक रोगी आगे चलकर क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के भी शिकार बनते हैं। भारत में 7.4 करोड़ लोग मधुमेह पीड़ित हैं और 2030 तक इस आंकड़े में बढ़ोतरी होकर 9.3 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, और यह महामारी का रूप ले लेगी। देश में मधुमेह ग्रस्त लोगों की संख्या के हिसाब से चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है।
श्री मनोज सक्सेना, प्रबंध निदेशक, बेयर ज़ायडस फार्मा ने कहा कि क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ और डायबिटीज़ रोगियों में थेरेपी का मुख्य ज़ोर एंड स्टेज रीनल डिज़ीज़ या किडनी फेलियर से बचाव करने पर रहता है। थेरेपी के बावजूद, इन मरीज़ों की हालत लगातार बिगड़ते हुए किडनी फेल होने की नौबत आ जाती है। फिनेरेनॉन इन मरीज़ों के लिए उपचार की पेशकश करता है जिससे क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ का बढ़ना भी कम होता है और किडनी फेल होने का जोखिम भी घटता है। साथ ही, यह क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ से जुड़े हृदय रोग संबंधी जोखिमों को भी कम करता है। इसके अलावा, जिन मरीज़ों की किडनी फेल हो चुकी होती है और इलाज के लिए डायलिसिस या रीनल ट्रांसप्लांट पर निर्भर होते हैं, उन मरीज़ों तथा उनके परिवारों के लिए यह भारी आर्थिक बोझ होता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें