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राहुल का रायता आखिर कैसे समेंटेगे मोदी


विजय शुक्ल 

मोदी और कांग्रेस की कितनी दुश्मनी हैं यह राम जाने पर राहुल गांधी को नेता बनाने का पूरा श्रेय किसी को जाता हैं तो वो मोदी को। सलाहकार और रणनीति से इतर हटकर एक अच्छे दुश्मन का होना एक योद्धा के निखरने का सबसे बड़ा जरिया बनता हैं।


मोदी धीरे धीरे नही आंधी की तरह कब गुजरात से गिनी (पापुआ न्यू गिनी) के नेता बन गए यह किसी को पता ही नही चला और भाजपा राज्यो से निकलकर देश ही नहीं विश्व की पार्टी बन गई वो भी सबसे बड़ी पार्टी। इधर राहुल को उतनी ही तेजी से मोदी की रणनीति ने पप्पू बनाने और कांग्रेस मुक्त भारत निर्माण की राह पर देश को चलना सीखने का समय दिया। रही बात कांग्रेस की तो उसके खात्मे के जिम्मेदार दीमकी नेता एक के बाद एक अपनी असली करतूत दिखाने लगे और भाजपा में अपनी बिलो को बनाना शुरू कर दिया हालांकि प्रमोद कृष्णन जैसे कुछ लोग अभी भी मौजूद हैं जिन्होंने चोंगा कांग्रेस का पहन रखा हैं पर चीखते भाजपा के लिए हैं। 

बहरहाल भारत जोड़ो यात्रा से पहले भी जो लोग राहुल गांधी को जानते होंगे उनको पता होगा कि राहुल आखिर हैं क्या? पर भारत जोड़ो यात्रा से जैसे जैसे राहुल गांधी ने भारत को पैदल नापना शुरू किया एक के बाद एक कांग्रेसी नेता निपटते गए जिन्होंने राहुल गांधी को कवच के नाम पर वश में कर रखा था। और राहुल गांधी खाली मैदान पर अब खेलने को पूरी तरह से आजाद थे अमृतकाल की बेला में क्योंकि मोदी तो ग्लोबल हो गए और मोदी के बाद भाजपा में बचा क्या? तो मौका अच्छा था राहुल ने भी गांव , गरीब, गुणी, ज्ञानी और गंवई फक्कड़ नेता बन हर किसी के करीब जाने लगे मगर धीरे धीरे। उधर मोदी ने एक बड़ा काम और कर दिया गांधी को सांसद से बेदखल करवाकर और यह काम ऐसा कि राहुल गांधी मोदी से चार कदम आगे निकल गए। यह पहली जगह थी जहां मोदी ग्लोबल नेता बनकर गोड़ गिरवा रहे थे और राहुल आजाद होकर गांधी होने के मायने गिनवा रहे थे।


पर अब जो हुआ हैं वो गांधी को गिनती के बड़े नेताओं की लाइन में लाकर रख दिया हैं और राहुल के रायते को अब मोदी समेटे कैसे इसपर चर्चा होनी शुरू भी हो गई।


हुआ यूं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर दौरे पर हैं लेकिन उनकी इस यात्रा को लेकर अब सियासत गर्मा गई है. दरअसल, गुरुवार (29 जून) सुबह जब राहुल चुराचांदपुर की ओर जा रहे थे तो उनके काफिले को बिष्णुपुर में ही रोक दिया था. पुलिस की तरफ से उनसे हेलीकॉप्टर से जाने की अपील की गई थी. इसके बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी में घमासान हो गया. कांग्रेस ने बीजेपी पर राहुल को रोके जाने का आरोप लगाया तो वहीं, बीजेपी ने इसके पलटवार में कहा कि मणिपुर के लोग ही राहुल के दौरे का विरोध कर रहे हैं. हालांकि, इन सबके बाद राहुल गांधी हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर के शिविर कैंप पहुंचे और वहां मौजूद लोगों से मुलाकात की. 


चुराचांदपुर में लोगों से मिलने और बातचीत करने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर उनके काफीले को रोके जाने पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "मैं मणिपुर के अपने सभी भाइयों-बहनों को सुनने आया हूं. सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है. शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए.


इन सबसे हटकर चुराचांदपुर के राहत शिविर में राहुल ने लोगों से मुलाकात की और उनसे बातचीत कर उनकी परेशानियों को सुना. उन्होंने वहां एक स्कूल में बनाए गए राहत शिविर में बच्चों के साथ दोपहर का खाना भी खाया. 


बस अब यह रायता के फैलने का चरम मानो क्योंकि इसके बाद रायता खुद सबको हैजा डायरिया की तरह परेशान करेगा और नौ साल की रट्टा महाअभियान योजना के आखिरी दिन तक फोटो और नाम के कार्यकर्ताओ के साथ बैठकी के बाद उसका ग्लोबल सीन सोचने में तथा इस महाअभियान के बाद थकान उतारने से पहले ही अमृतकाल की यात्रा में नौ साल ढूंढने की नई जिम्मेदारी में जुट जाएंगे तो सोचो  राहुल का फैलाया रायता यह समेंटेगे कब?

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