- दस माह से सुविधाओं के लिए तरस रहे बाढ़ प्रभावित
- बार-बार प्रभावितों को आश्वासन देकर खेला खेल रहा है प्रशासन
निखिल कौशल।
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
कुल्लू: बाढ़ प्रभावितों के साथ प्रशासन खेला खेल रहे हैं। ड्रेजिंग कार्य ठीक ना होने के कारण बाढ़ प्रभावित बार-बार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं और प्रशासन आश्वासन पर आश्वासन देकर उन्हें उलझा के रखा है। लेकिन वह अपना दुखड़ा सुनाएं तो सुनाए किसको यह मामला सैंज घाटी के साथ लगते कस्बे बकशाहल
का है यह इससे पहले कई बार प्रशासन की टीम ड्रेजिंग कार्य और नुकसान का जायजा लेने के लिए पहुंची है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है ना तो यहां पर ठीक से ड्रेजिंग कार्य हुआ ना ही इन लोगों को नुकसान का मुआवजा मिला है। दूसरी बरसात शुरू होने को है बकशाहल वासियों
को फिर से डर लग रहा है कि कहीं दोबारा पिन ब पार्वती नदी का रौद्र रूप उन्हें नुकसान ना पहुंचाएं। दूसरी ओर प्रशासन द्वारा बनाई गई टीम निरीक्षण पर निरीक्षण करती जा रही है लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है। सैंज विकास समिति के अध्यक्ष बुध राम ने बताया कि उन्होंने पटवारी से लेकर नायब तहसीलदार, एसडीएम , उपायुक्त महोदय को कई बार लिखित तौर पर ड्रेजिंग कार्य ठीक से करने और मुआवजा देने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है लेकिन प्रशासन एक दिन मशीन भेज देता है और दूसरे दिन यहां से मशीन को हटाकर दूसरी जगह ले जाता है और ऐसे में उनका कार्य ड्रेसिंग का कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है और दूसरी बरसात शुरू होने जा रही है लेकिन बकशाहल,खराटला, सातैश
गांव में ठीक से कोई भी कार्य नहीं हुआ। बुध राम ने बताया कि सैंज मेले के दौरान उपायुक्त कल्लू ने खुद यहां का दौरा किया था और एसडीएम बंजार को निर्देश दिए थे कि यहां पर ड्रेजिंग के लिए मशीन लगाई जाए लेकिन आदेश देने के बावजूद भी यहां ड्रेजिंग कार्य शुरू नहीं हुआ तो उन्होंने फिर से उपयुक्त कुल्लू को फोन के माध्यम से सूचना दी थी तो निरीक्षण करने के लिए लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, राजस्व विभाग की टीम फिर से बकशाहल
गांव पहुंची है और उन्होंने विश्वास दिलाया है कि इस की रिपोर्ट एसडीएम को सौंपेंगे और आगे की कार्रवाई करेंगे।
बकशाहल वासियों और सैंज विकास समिति के अध्यक्ष बुध राम ने
जिला प्रशासन से आग्रह किया है शीघ्र यहां ड्रेजिंग करने के लिए मशीनें भेजी दी जाए। उन्होंने कहा कि एक तो सैंज नदी में आई बाढ़ के कारण उन्हें बहुत नुकसान हुआ है और अब दूसरी बरसात शुरू होने वाली है तो कहीं जख्म हरे ना हो जाए। उन्होंने मांग की है कि तीन मशीनें भेजी दी जाए और
बकशाहल, खराटला, स तैश, मैं ठीक से ड्रेसिंग कार्य हो और उन्हें मुआवजा भी दिया जाए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें