गब्बर सिंह वैदिक
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
ग्रामीण क्षेत्र में कुछ वर्षों पहले लगाई गई सोलर लाइटें जिनकी संख्या सैंकड़ों या फिर हजारों में भी हो सकती हैं, ये लाइटें कुछ महीनों के बाद जलना ही बंद हो गई हैं, न तो इसको इंस्टाल करने वाली एजेंसियों ने इसकी कोई सुध भी नही ली, न ही स्थानीय प्रशासन और न ही हमने। आखिर जब कोई योजना बनती होगी क्या इसके सभी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता होगा। क्या इसके रखरखाव के बारे में भी कोई योजना नहीं बनती होगी ? या मात्र सरकारी धन का दुरुपयोग करना ही इसका एकमात्र उद्देश्य होता है? आखिर इसका जिंबेबार कौन है? स्थानीय जनता, या हमारे नेता जो कई प्रकार से संघटन बनाते हैं। इन संगठनों को बनाने का क्या उद्देश्य होता होगा? क्या प्रधान संघ के सदस्यों के क्षेत्रों में ये लाइटें नहीं लगी होंगी ? अवश्य होंगी। बल्कि ये इनके घरों के आस पर शोभा बढ़ा रही होंगी । परंतु उन नेताओं को इन्हे सुचारू रूप से काम करने के बारे में सोच उत्पन्न नही होती होगी? या इसके पीछे भी कोई खेल तो नही?
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