कहते है कि इस्लाम का सबसे बड़ा अहम् हिस्सा पाक रमज़ान का माह होता है जिसमे मुस्लिम रोज़ा रखते है पूरे दिन लगभग बिना पानी पिए कुछ खाये वैसे ऐसे व्रत का तो हिन्दुओ में भी ढेरो सारा उदाहरण है पर लगातार पूरे माह किसी भी धर्म में ऐसा कठिनाई से पालन करने वाला जिसमे की लार तक निगली ना जाती हो वो सिर्फ रमज़ान के पाक महीने में रोज़ा है बहरहाल इस बार का रोज़ा कुछ ख़ास हुआ मेरे जीवन में। कई कारणों से कई अलग अलग वजहों के कारण हमेशा मैं लगभग मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे व चर्च में जाता रहा हूँ तसल्ली हर जगह मिलती है एक जैसी ही जहां जाकर रूह नूरानी हो जाती है और आत्मा पाक। इस बार मैंने रोज़ा रखने का मन बनाया हिम्मत करके पहले दिन का रोज़ा पूरा किया तो एहसास हुआ कि कैसी कठिनाईया रोज़ेदार रोजाना फेस करते होंगे अपने अपने कामो के साथ क्योकि ज्यादातर मुस्लिम या तो मैकेनिक है या अलग अलग कारीगरी के हुनर में लगे हुए है तो उनके साथ साथ बिना खाये पिए रोज़ा एक कठिन ही है पर आज दस दिन बीत गए और एक आदत सी बन गयी तो लग रहा है की ऊपर वाला रोज़ेदार को ताकत सही नीयत और अपने से लगा हुआ रखता है इस पा...